Tuesday, November 16, 2010

मुसलिमों को बदनाम करने की साजिश

इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के संबंध में कुछ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो कई लिहाज से चौंकाने वाली हैं। हर जगह मुसलमानों को केंद्र में रखकर नीति बनाने की बात की जाती है, जबकि खुद मुसलिम इस परिदृश्य में कोई उल्लेखनीय भूमिका निभाते नजर नहीं आते।
बाबरी मसजिद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के फैसले के बाद जहां मुसलमानों ने फैसले को इंसाफ केखिलाफ बताया, वहीं बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में गए राशिद अलवी ने मुसलमानों को ही यह सुझाव दे डाला कि वे हाई कोर्ट फैसले से मिली एक तिहाई जमीन को वापस कर दें, ताकि वहां पर भव्य राम मंदिर निर्माण हो सके। उनका यह बयान मुसलमानों को स्वीकार्य नहीं था, क्योंकि मुसलमान मंदिर निर्माण के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे मसजिद केस्थान पर मंदिर बनाने केखिलाफ हैं। अलवी का यह बयान उनकी पार्टी लाइन के अनुसार था। यही कारण था कि कांग्रेस अधिवेशन में किसी दूसरे मुसलिम कांग्रेसी को उतना महत्व नहीं मिला, जितना उन्हें मिला। यह वही कांग्रेस है, जिसकेशासन काल में बाबरी मसजिद में ताला लगा, फिर ताला खुला, इसके बाद शिलान्यास हुआ और अंत में बाबरी मसजिद का विध्वंस हुआ। अब मिलकियत केमुकदमे में अदालत की तरफ से जो एक तिहाई जगह मिली है, पार्टी (कांग्रेस) की तरफ से उसे भी छोड़ने की सलाह दी जा रही है।
अभी इस पर आत्ममंथन का सिलसिला जारी ही था कि केरल में मुसलमानों से संबंधित एक रायशुमारी ने उन्हें और भी विचलित कर दिया है। इस सर्वेक्षण में जिस तरह के सवालात पूछे जा रहे हैं उनसे मुसलिम समाज सांसद में है। उल्लेखनीय है कि केरल में यह सर्वेक्षण एक अमेरिकी संस्था द्वारा कराया जा रहा है। टीएनएस नाम की इस संस्था का कार्यालय हैदराबाद में भी है। टीएनएस ने दो अक्टूबर, 2010 को तिरुअनंतपुरम की करदम कॉलोनी में यह सर्वेक्षण कराया, जहां बहुसंख्यक मुसलिम आबादी है और यहां रहने वाले अधिकतर लोग गरीब तबके से ताल्लुक रखते हैं। यह सर्वेक्षण महिलाकर्मियों ने किया। कुल 83 पेज पर आधारित सवालों वाली इस पुस्तिका में पूछे गए सवाल कुछ इस तरह हैं। मसलन, आप खुद को भारतीय मानते हैं या मुसलमान? भारत में इसलामी कानून को क्रियान्वित करने के बारे में आप क्या सोचते हैं? क्या आप बुरका पहनना पसंद करती हैं? अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा केबारे में आपके क्या विचार हैं?
स्थानीय पुलिस ने भी इस सर्वेक्षण को सांप्रदायिक हिंसा फैलाने वाला बताया है। केरल केपुलिस महानिदेशक जैकब पोनोज के मुताबिक, सर्वेक्षण में पूछे जाने वाले सवालों से लोगों की भावनाएं भड़क सकती हैं। इससे पहले दिल्ली में भी एक सर्वेक्षण किया गया था। इसमें मुसलिम संगठनों के पदाधिकारियों से कई आपत्तिजनक सवाल पूछे गए थे।
9/11 की घटना के बाद जिस तरह विश्व स्तर पर मुसलमानों को निशाना बनाया गया, उससे पूरा समाज दो वर्गों में विभाजित हो गया। खुद मुसलमानों को भी उनकी विचारधारा केआधार पर कई खानों में बांट दिया गया। इससे पहले ब्रिटेन में भी एक ऐसे सर्वेक्षण में आपत्तिजनक सवाल पूछे गए थे। इसमें वहां के आम नागरिकों से पूछा गया था कि आप मुसलमानों को पहले देशभक्त मानते हैं या मुसलिम। आश्चर्यजनक तरीके से वहां के लोगों ने मुसलिमों के बारे में कहा कि वे पहले देशभक्त हैं।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि 9/11 हमले केलिए अल कायदा को जिम्मेदार बताते हुए उसके खिलाफ मुहिम छेड़ी गई, तब खुद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने हिंदुस्तानी मुसलमानों केबारे में कहा था कि भारत में मुसलमानों की इतनी बड़ी संख्या होने केबावजूद वहां के मुसलमान अल कायदा से नहीं जुडे़। बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसी बात को दोहराया। सवाल यह है कि उपरोक्त सवालों का औचित्य क्या है और ये किन उद्देश्यों केतहत पूछे जा रहे हैं? मुसलमान पहले भारतीय हैं या मुसलिम, यह सवाल गुमराह करने के साथ-साथ किसी को भी ठेस पहुंचा सकता है। यह ठीक ऐसा ही है, जैसे किसी से पूछा जाए कि मां और बाप में पहले कौन है? मुसलिम होने के नाते धर्म उसे जिंदगी गुजारने का सलीका देता है, तो जन्मभूमि उसे सुरक्षा प्रदान करती है, जहां वह इच्छाओं को परवान चढ़ाता है। इन दोनों को अलग नहीं किया जा सकता। इसलिए बुनियादी तौर पर यह सवाल ही गलत है, जिसकी भर्त्सना की जानी चाहिए।

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