Friday, April 6, 2012

दिल्ली निगम चुनाव में बटला हाउस मुठभेड़ बना मुद्दा

बीते सप्ताह विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों सहित दिल्ली में नगर निगम चुनाव और जमीअत उलेमा हिंद के मुख्यालय में जमीअत के दो धड़ों में कहासुनी को लेकर उर्दू अखबारों ने विशेष फोकस किया है। पेश है इस बाबत कुछ उर्दू अखबारों की राय

दैनिक `सहाफत' में मोहम्मद आतिफ ने `नगर निगम चुनाव में बटला हाउस इंकाउंटर बना मुद्दा' के शीर्षक से चर्चा करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली के मुस्लिम बहुल क्षेत्र जामिया नगर में दो वार्ड जाकिर नगर (205) और ओखला (206) हैं। यह वार्ड भले ही कई बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं लेकिन दोनों सीटों पर ज्यादातर उम्मीदवार सितम्बर 2008 में हुए इंकाउंटर को फर्जी इंकाउंटर मानते हुए अहम मुद्दा बना रहे हैं। जाकिर नगर से कुल 25 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां वर्तमान पार्षद शोएब दानिश फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो दिल्ली और अहमदाबाद के सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोप में गिरफ्तार 26 वर्ष के जियाऊ&रहमान ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। जियाऊ&रहमान की मुहिम की कमान संभाले अमानत उल्लाह ने कहा कि हम ने अदालत से इजाजत लेकर ही उन्हें उम्मीदवार बनाया है। इसे आतंकवादी कहा जा रहा है लेकिन इसे अभी अदालत ने कुसूरवार नहीं बताया है। हम आज भी दिल्ली धमाकों के आरोप में पकड़े गए युवाओं को बेकसूर मानते हैं। स्थानीय विधायक आसिफ मोहम्मद खां का कहना है कि चूंकि सरकार ने इस इंकाउंटर की जांच कराने से इंकार कर दिया है इसलिए हम नगर निगम चुनाव में एक उम्मीदवार की हैसियत से इसके समर्थन करने पर एक दृष्टिकोण अख्तियार करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि हम जनता की अदालत में जाएंगे और लोकतांत्रिक तरीके से जवाब देंगे। दूसरी ओर पार्षद शोएब दानिश बटला हाउस इंकाउंटर को चुनावी मुद्दा नहीं मानते। उन्होंने कहा कि बटला हाउस मुठभेड़ के मामले को लेकर कुछ लोग व्यक्तिगत फायदा उठा रहे हैं। चुनावी मुद्दा बनाने से युवाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा।

`नगर निगम चुनाव जियाऊ&रहमान के कारण कांग्रेस की नींद हराम' के शीर्षक से दैनिक `जदीद मेल' में मोहम्मद अहमद खां ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि 2008 में जिस समय 12 लोगों के साथ जियाऊ&रहमान को गिरफ्तार किया गया था, उस समय वह जामिया मिलिया इस्लामिया का एक छात्र था। सामाजिक कार्यकर्ता फिरोज बख्त अहमद का कहना है कि यह क्षेत्र पहले से ही ब्लैक लिस्टेड है। अगर जिया यहां से जीत जाता है तो यह क्षेत्र के लिए चिंताजनक होगा और बाहर यह पैगाम जाएगा कि यहां के लोग आतंकवादियों का समर्थन करते हैं। जियाऊ&रहमान के कारण क्षेत्र में काफी हलचल है। एक ओर जहां आम लोगों में इसको लेकर उत्साह पाया जा रहा है वहां वर्तमान विधेयक आसिफ मोहम्मद खां और लोक जन शक्ति पार्टी नेता अमानतुल्ला का एक प्लेट फार्म पर आ जाने से कांग्रेस की नींद हराम हो गई है।

दैनिक `इंकलाब' ने `जियाऊ&रहमान की सियासी पार्टियों के बाद अब बहुत सी मिल्ली संगठनों ने भी अपने समर्थन की घोषणा की' के शीर्षक से मोहम्मद रजा फराज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि लोक जन शक्ति पार्टी और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल सहित सियासी पार्टियों और स्थानीय आरडब्लूए के समर्थन के बाद अब बहुत सी मिल्ली संगठनों ने भी समर्थन की घोषणा की है। जामिया नगर फेडरेशन के महासचिव मुशरिफ हुसैन का कहना है कि यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पूरे देश की निगाह बटला हाउस चुनाव पर है। इस चुनाव से इस बात का फैसला होना है कि जनता जियाऊ&रहमान को आतंकवादी मानती है या बेकसूर।

आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत (सालिम ग्रुप) के अध्यक्ष डा. अनवारुल इस्लाम कहते हैं कि जियाऊ&रहमान को जो लाबी चुनाव में ला रही उनकी नियतों पर भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन उनका समर्थन करेंगे। जियाऊ&रहमान के पिता अबुर्दरहमान का कहना है कि पुलिस विभाग ने हमारे बच्चों सहित सैकड़ों मुस्लिम युवाओं की जिंदगी को बर्बाद किया है। चुनाव में यदि हमारा बेटा जीत जाता है तो इन जैसे सभी युवाओं को हौसला मिलेगा और उम्मीद की एक आसा पैदा होगी।

दैनिक `हिन्दुस्तान एक्सप्रेस' ने `दिल्ली बम धमाके का तथाकथित आरोपी भी मैदान में' के शीर्षक से लिखा है कि जियाऊ&रहमान को 2008 के सीरियल बम ब्लास्ट के बाद बटला हाउस इकाउंटर में गिरफ्तार किया गया था। इस इंकांउटर में इसके दो साथी सहित दिल्ली पुलिस इस्पेक्टर मारे गए थे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इस इंकाउंटर को फर्जी बताया था लेकिन गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने दिग्विजय के दावे को नकारते हुए इनकाउंटर को सही बताया था। 2008 से जेल में बंद जियाऊ&रहमान अपनी बेगुनाही को साबित करने के लिए नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरा है। जियाऊ&रहमान साबरमती जेल में बंद है और शायद वह अकेला उम्मीदवार है जो जेल से 15 अप्रैल को होने वाले चुनाव में लड़ रहा है। जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष मौलाना जलाल उद्दीन उमरी ने कहा कि चूंकि अदालत ने इजाजत दे दी है वह चुनाव लड़ सकता है, क्या वह उसका समर्थन करते हैं के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोगों को खुद फैसला लेना चाहिए।

सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोप से 14 साल बाद बरी होने वाले मोहम्मद आमिर खां ने आल इंडिया मिल्ली काउंसिल के राष्ट्रीय अधिवेशन `युवाओं की रक्षा' में अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा ः वैसे तो मुस्लिम संगठन युवाओं की गिरफ्तारी का विरोध करते नजर आते हैं लेकिन गिरफ्तार युवाओं की रिहाई के लिए अच्छा वकील तक उपलब्ध और परिवार की देखभाल करने में कोई भूमिका यह मुस्लिम संगठन नहीं निभाती हैं। दैनिक `राष्ट्रीय सहारा' ने `14 साल न करने वाले गुनाह की सजा काटने वाले आमिर की नसीहत' के शीर्षक से आगे लिखा है कि जब मुझे गिरफ्तार किया गया था तब कोई भी मुस्लिम संगठन सामने नहीं आया। किसी वकील ने मुकदमा लड़ने की पेशकश नहीं की। मां बीमार रही, पिता गुजर गए लेकिन किसी संगठन ने कोई खबर नहीं ली।

आमिर के इस वक्तव्य पर एनए शिबली ने दैनिक `हिन्दुस्तान एक्सप्रेस' में अपनी रिपोर्ट में खुलासा करते हुए लिखा कि जमाअत इस्लामी हिंद ने भी मोहम्मद आमिर को केवल सपना ही दिखाया, जबकि जमाअत इस्लामी हिंद ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अध्यक्ष मौलाना जलाल उद्दीन उमरी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि हम ने आमिर को आर्थिक सहायता दी और आगे भी देंगे लेकिन आमिर ने यह कहकर चौंका दिया कि मुझसे पहले दिन जमाअत की जो टीम मिलने आई थी उस ने मुझे दो हजार रुपये दिए थे। इसके बाद से न तो जमाअत की ओर से मुझे कोई फोन आया और न किसी ने मेरी कोई मदद की। इसका मतलब तो यह हुआ कि उमरी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जो कहा वह गलत है।

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