Wednesday, March 23, 2011

मौलाना अरशद मदनी पर 101 करोड़ रुपये का दावा

बीते दिनों राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं पर उर्दू मीडिया ने परम्परानुसार बेबाकी से अपना पक्ष रखा। पेश है इस बाबत कुछ उर्दू अखबारों की राय।

दुश्मन जायदाद के विधेयक (संशोधित) को लेकर जहां उर्दू अखबारों ने सक्रिय भूमिका निभाई वहां मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम सांसदों की इसमें दिलचस्पी नहीं रही। इस पर चर्चा करते हुए दैनिक `हमारा समाज' में आमिर सलीम खाँ ने अपनी रिपोर्ट में यह रहस्योद्घाटन किया है कि ऐनामी प्रापर्टी विधेयक 2010 पर राज्यसभा की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक से गायब रहे कमेटी के मुस्लिम सदस्य। जबकि सूत्रों के अनुसार कल की यह बैठक आखिरी थी जिसके बाद कमेटी विधेयक पर अपनी रिपोर्ट पेश करने में सक्षम हो जाती है। इसी बीच 14 मार्च को राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य नवेद हामिद की पहल पर 17 सांसदों के हस्ताक्षर से एक पत्र कमेटी चेयरमैन वेंकैया नायडू को दिया गया है जिस पर एक माह का समय दे दिया गया है। राज्यसभा की 31 सदस्यीय स्टैंडिंग कमेटी में चार सदस्य मुस्लिम हैं जिनमें तारिक अनवर, मौलाना असरारुल हक कासमी, मोहम्मद हमीद उल्ला सईद और जावेद अख्तर शामिल हैं। 1968 में बने एनेमी प्रापर्टी कानून के तहत पाकिस्तान जाने वालों के हिन्दुस्तान में रह गए वारिसों के बावजूद उनकी जमीनें कसटोडियन के कब्जे में दे दी गई थीं। राजा महमूदाबाद के वारिस मोहम्मद आमिर खाँ ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और एक लम्बी लड़ाई के बाद 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने इनके हक में फैसला कर दिया लेकिन इसके खिलाफ गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने अध्यादेश को लेकर फैसले को निरस्त कर दिया। इस अध्यादेश से वारिसों को जायदादें नहीं मिल रही थीं इस पर राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन के. रहमान खाँ और केंद्रीय मंत्री अल्पसंख्यक मंत्रालय सलमान खुर्शीद की अगुवाई में 40 मुस्लिम सांसदों ने जुलाई 2010 में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर विधेयक में उचित संशोधन की मांग की थी। जिस पर सरकार ने स्टैंडिंग कमेटी बनाकर मामला उसके सुपुर्द कर दिया।

`मौलाना अरशद मदनी पर 101 करोड़ का दावा, मौलाना बदरुद्दीन अजमल पर भाजपा से 55 करोड़ घूस लेने का आरोप, गोहाटी जिला अदालत में अवमानना का मुकदमा दायर' के शीर्षक से `हमारा समाज' ने लिखा है। गत महीनों जमीयत उलेमा हिन्द (मौलाना अरशद मदनी) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और मौलाना बदरुद्दीन अजमल में होने वाली लड़ाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोकेटिक फ्रंट के अध्यक्ष मौलाना अजमल पर गत महीने फरवरी में मौलाना मदनी द्वारा कथित तौर पर गत लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी से 55 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाया था। मौलाना अजमल ने इस पर अवमानना का केस करते हुए असम मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। इस पार्टी में आरिफ बेग, सिकंदर बख्त, मुख्तार अब्बास नकवी और आरिफ मोहम्मद खाँ जैसे तथाकथित मुस्लिम चेहरों को सामने रखकर असम के मुस्लिम चेहरों की हकीकत को भी अच्छी तरह समझा जा सकता है। गोहाटी की जिला अदालत में 101 करोड़ रुपये का मुकदमा मौलाना अरशद मदनी पर किया है। एयूडीएफ प्रवक्ता के अनुसार अवमानना की याचिका में मौलाना अजमल की ओर से कहा गया है चूंकि वह लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इनके सामाजिक काम का दायरा दूर-दूर तक फैला हुआ है। इसलिए इस आरोप से उन्हें काफी मानसिक और आर्थिक चोट पहुंची है और इनकी छवि खराब हुई है। ऐसी सूरत में यदि उन्होंने घूस लिया है तो आदलत में सुबूत पेश किए जाएं। यदि ऐसा नहीं है तो फिर मौलाना अरशद मदनी के खिलाफ अदालत नोटिस जारी करे। मौलाना अजमल ने याचिका में कहा है कि यदि दावा गलत है तो फिर मेरे करोड़ों रुपये की भरपायी की जाए जिसके लिए उन्होंने 101 करोड़ रुपये तय किए हैं। इसमें अदालत को कम-ज्यादा करने का अधिकार दिया गया है। ज्ञात रहे असम में तोपखाना मदरसा के अधिवेशन में मौलाना अजमल पर मौलाना अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि उन्होंने गत लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी से 55 करोड़ रुपये घूस ली थी।

बाबरी मस्जिद मिलकियत मुकदमें में अदालत की अवमानना के आरोप में इलाहाबाद हाई कोर्ट की विशेष तीन सदस्यीय खंडपीठ द्वारा पीटीआई, दैनिक जागरण और इतिहासकारों एवं पुरातत्व विशेषज्ञों पर जुर्माना किए जाने पर चर्चा करते हुए दैनिक `अखबारे मशरिक' ने लिखा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ के जस्टिस एसयू खाँ, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीके दीक्षित ने हिन्दी `दैनिक जागरण' बाबरी मस्जिद मुकदमें की गलत रिपोर्टिंग पर दोनों पर एक हजार रुपये का जुर्माना किया है। खंडपीठ ने बाबरी मस्जिद मुकदमें में मुसलमानों की तरफ से पेश किए इतिहासकार और पुरातत्व विशेषज्ञ धतेश्वर मंडल और प्रोफेसर शिंटी रत्नाकर को भी अदालत की अवमानना का दोषी ठहराते हुए दोनों पर एक-एक हजार का जुर्माना किया है। इन दोनों इतिहासकारों तक अधारित सच्चाई को स्वीकार किए जाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की विशेष खंडपीठ की आलोचना करते हुए अपना विरोध प्रकट किया था।

`असम के मुसलमानों के लिए नया जाल बिछाया जा रहा है' के शीर्षक से `सहरोजा दावत' ने लिखा है। भाजपा ने इस बार मुस्लिम बहुल क्षेत्र असम में मुसलमानों को अपने जाल में फंसाने की रणनीति बनाई है। सूत्रों के अनुसार भाजपा इस चुनाव में दो मुस्लिम उम्मीदारों को मैदान में उतारेगी। इस पार्टी में आरिफ बेग, सिकंदर बख्त, मुख्तार अब्बास नकवी और आरिफ मोहम्मद खाँ जैसे तथाकथित मुस्लिम चेहरों को सामने रखकर असम के मुस्लिम चेहरों की हकीकत को भी अच्छी तरह समझा जा सकता है।

स्वतंत्रता आंदोलन से पूर्व ही इसकी विचारधारा को दुनिया जानती है। हिन्दू महासभा, आरएसएस, जनसंघ और भाजपा की तरह मुखौटे सामने आते हैं। लेकिन मिशन एवं गंतव्य में कोई फर्प नहीं रहा।

भाजपा बिहार विधाननसभा के चुनावी नतीजों की रोशनी में असम चुनाव को देख रही है। जाहिर है वहां लालू यादव और कांग्रेस ने जिस तरह उन्हें मायूस किया और नीतीश कुमार ने सांप्रदायिकता को रोकते हुए चाहे मुसलमानों को कुछ नहीं दिया। कुल मिलाकर जो विकास कार्य किया उससे मुसलमान भी लाभांवित हो रहे हैं। कोई ऐसा काम नहीं किया गया जिससे मुसलमान भेदभाव का अहसास करते। यदि स्वयं भाजपा इस रंग में आ जाएगी तो अपनी विचारधारा से दूरी की बिना पर स्वयं अपने वोट बैंक से वंचित हो जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हज सब्सिडी को बहाल रखने के निर्णय के बाद मुस्लिम नेतृत्व ने इसके खिलाफ लामबंद होना शुरू कर दिया है और वह इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं क्योंकि हज सब्सिडी के बहाने सरकार एयर इंडिया को फायदा पहुंचा रही है। मुस्लिम नेतृत्व की सोच के विपरीत केंद्रीय हज कमेटी के उपाध्यक्ष ने हज सब्सिडी जारी रखने की वकालत कर इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दैनिक `हिन्दुस्तान एक्सप्रेस' में फरजान कुरैशी ने हज कमेटी उपाध्यक्ष हसन अहमद के हवाले से लिखा है कि सब्सिडी हमारा अधिकार है और यह जारी रहना चाहिए। उनका कहना था कि देश का मुसलमान इनकम टैक्स और सेल्स टैक्स देता है और जो लोग सरकार को टैक्स देते हैं उसके बदले सरकार उन्हें कुछ न कुछ छूट जरूर देती है। मुसलमान देश के नागरिक हैं जब दूसरे लोग सरकार से सब्सिडी हासिल कर सकते हैं तो फिर मुसलमान इस छूट से क्यों वंचित रहें।

`नकवी के बयान पर कांग्रेस में आंतरिक बहस की शुरुआत, कांग्रेस के मुस्लिम नेता झांक रहे हैं अपना गिरेबां, सेकुलरिज्म की रक्षा के लिए पार्टी नेता सक्रिय' के तहत दैनिक `सहाफत' ने लिखा है। भाजपा प्रवक्ता और सांसद मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा जारी बजट के आरोप को लेकर कांग्रेस पार्टी में आंतरिक बहस शुरू हो गई है। मुख्तार अब्बास नकवी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय पर बहस के दौरान कांग्रेस और सरकार पर कई तरह के सवाल उठाए थे। उनका आरोप था कि कांग्रेस पार्टी सेकुलरिज्म की बात करती है लेकिन देश में आज के दिन किसी राज्य का गवर्नर मुस्लिम नहीं है। पूरे देश के किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री तो दूर की बात है। एक भी विपक्षी नेता मुस्लिम नहीं है। बिहार छोड़कर किसी भी राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष मुस्लिम नहीं है। इस सन्दर्भ में कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के महासचिव अनीस दुर्रानी का कहना है कि उनके बयान से कांग्रेस की सेहत पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।

No comments:

Post a Comment