Friday, July 15, 2011

राहुल गांधी के मिशन 2012 में मुसलमान कहां?

बीते सप्ताह कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसे उर्दू अखबारों ने विशेष महत्व दिया है। इनमें राहुल गांधी की कोर टीम में एक भी मुस्लिम नहीं, अब भाजपा खेलेगी सिया-सुन्नी खेल, गज्जा जाने वाले सहायता काफिले को यूनान के पोर्ट पर रोका, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में घपला और लिंग परिवर्तन का आपरेशन छोड़ा, पहला स्तर पूरा करने के बाद सर्जन ने कानूनी इजाजतनामा और जामिया अल-अजहर का फतवा लाने की शर्त लगाई, जैसे अनेक मुद्दे हैं। पेश है उपरोक्त मुद्दों पर उर्दू अखबारों की राय।
दैनिक `जदीद मेल' ने राहुल गांधी के `मिशन 2012' पर चर्चा करते हुए लिखा है कि कांग्रेस का सेक्युलरिज्म एक बार फिर छलावा साबित हुआ। मिशन 2012 में गठित `चुनाव समिति' के 20 सदस्यों में जहां मुसलमानों की संख्या शून्य से कुछ ऊपर है वहीं चुनाव समिति से निर्वाचित सदस्यों पर आधारित `कोर कमेटी' के 6 सदस्यों में एक भी मुसलमान नहीं है। कोर कमेटी सदस्यों में राहुल गांधी महासचिव कांग्रेस पार्टी, यूपी कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, यूपी मामलों के पार्टी इंचार्ज दिग्विजय सिंह, पिछड़ी जाति नेता और राज्यमंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, दलित नेता और एससी आयोग चेयरमैन पीएल पूनिया एवं एमएलए प्रमोद तिवारी शामिल हैं। रीता बहुगुणा बार-बार कह रही हैं कि इस बार मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में टिकट मिलेगा। लेकिन मिशन 2012 के पहले पड़ाव पर ही कांग्रेस का मुसलमानों के साथ यह सलूक जाहिर करता है कि दाल में कुछ काला जरूर है। सूत्रों के अनुसार एससी आयोग के चेयरमैन पीएल पूनिया ने `अंसारी बिरादरी' के लोगों का बॉयोडाटा जमा करना शुरू कर दिया है लेकिन अन्य मुसलमानों की वकालत कौन करेगा, यह सवाल अपनी जगह बरकरार है।
दैनिक `सहाफत' ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की गतिविधियों को उजागर करते हुए लिखा है कि भाजपा अब मुसलमानों को शिया-सुन्नी में बांटने का खेल करने में लगी है जिसके कारण भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के चेयरमैन डॉ. जेके जैन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं और मोर्चा पदाधिकारियों के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। अखबार के अनुसार हाल ही में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चों के तहत शिया वर्किंग ग्रुप बनाया गया है जिसमें ज्यादातर लोग लखनऊ से लिए गए हैं। इस शिया ग्रुप के सिलसिले में यह बात कही जा रही है कि भाजपा अब शिया-सुन्नी का खेल खेलने की तैयारी में है। डॉ. जैन इसका खंडन करते हैं उनके अनुसार भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चों ने फैसला लिया कि जिस तरह महिला वर्किंग ग्रुप, पिछड़ा वर्किंग ग्रुप, यूथ वर्किंग ग्रुप बनाया गया है इसी तरह शिया वर्किंग ग्रुप भी होना चाहिए ताकि शिया समाज की समस्याओं को हल किया जा सके। इस संबंध में एक कांफ्रेंस 10 जून को लखनऊ में भाजपा नेता राजनाथ सिंह की अगुवाई में होने वाली थी लेकिन अब स्थगित कर दी गई है। अखबार सवाल उठा रहा है कि शक शिया समाज पर नहीं, भाजपा की नीयत पर है आखिर इसे शियों का अचानक ख्याल कैसे आ गया और इस तरह का कार्यक्रम लखनऊ में कराने की क्यों योजना बना रही है जहां पहले से ही शिया-सुन्नी झगड़े होते रहते हैं।
मोहम्मद आतिफ ने गज्जा सहायता के लिए जाने वाले जहाज को यूनान पोर्ट पर रोके जाने पर जहाज काफिले में शामिल और मुस्लिम पालिटिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. टीए रहमानी के हवाले से लिखा है कि मजलूमों के साथ सरकार कैसा बर्ताव करती है इसका इजहार यूनान के पोर्ट पर विश्व शांति मिशन के सदस्यों को रोकने से हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस्राइल के लोग लगातार यह झूठा प्रचार कर रहे हैं कि यह काफिला हथियार सप्लाई करने के लिए जा रहा है और इसी को बुनियाद बनाकर वह विभिन्न देशों पर राजनैतिक दबाव डाल रहे हैं एवं शांति मिशन को नाकाम बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि इन जहाजों पर जाकर कोई भी व्यक्ति देख सकता है कि इसमें सहायता सामग्री के अतिरिक्त कुछ नहीं है। गज्जा के लोगों पर अत्याचार हो रहा है और जब इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने की कोशिश की जाती है तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है या फिर शांति काफिले को रोक देना जैसा सलूक होता है, इस पर विश्व समुदाय को विचार करने की जरूरत है।
दैनिक `अखबारे मशरिक' ने `इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में सदस्यता में गड़बड़ी के चलते संस्था को एक करोड़ 81 लाख रुपये का नुकसान' के शीर्षक से लिखा है कि सेंटर के दो सदस्यों चौधरी जियाउल इस्लाम और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट जैडके फैजान ने इस बात रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज में शिकायत दर्ज कराई है कि इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के प्रशासन ने सदस्यता अभियान में हेराफेरी की है जिसके कारण सेंटर को आर्थिक और तकनीकी तौर पर नुकसान पहुंचा है। वर्ष 2007-08 में 850 व्यक्तियों को लाइफ सदस्यता दी गई जिससे सदस्यता शुल्क दो करोड़ 29 लाख 60 हजार रुपये की रकम सेंटर को मिलनी चाहिए थी जबकि इसी साल 48 लाख 20 हजार रुपये की सदस्यता शुल्क के रूप में जमा दिखाया गया। इस तरह सेंटर को एक करोड़ 81 लाख 40 हजार रुपये का घाटा हुआ। इस बाबत जब एजीएम में सवाल उठाया गया तो जल्द हिसाब देने की बात कर मामले को टाल दिया गया। तीन साल का समय गुजर जाने के बाद इसका कोई हिसाब नहीं दिया गया। सेंटर ने आजीवन सदस्यता शुल्क फीस तीस हजार से बढ़ाकर पचास हजार कर दिया है जबकि सेंटर के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी को ऐसा करने का अधिकार नहीं है।
`लिंग आपरेशन अधूरा छोड़ा, पहला स्तर पूरा करने के बाद सर्जन ने कानूनी इजाजतनामा और फतवा लाने' के शीर्षक से दैनिक `मुंसिफ' ने लिखा है कि मिस्र में अपनी तरह के अनोखे और दिलचस्प घटना में एक सर्जन ने लिंग परिवर्तन का आपरेशन इसलिए अधूरा छोड़ दिया है कि उसके पास लिंग परिवर्तन करने का फतवा मौजूद नहीं है। सर्जन का कहना है कि आधा आपरेशन करने के बाद उसे ख्याल आया कि उसे यह काम करने से पूर्व उलेमा से फतवा हासिल करना चाहिए था, जो कि नहीं लिया गया, इसलिए उसने यह शर्त लगा दी जिसके कारण लड़के से लड़की बनने वाले के मां-बाप परेशान हैं। मिस्र के अरबी दैनिक `अल हराम' ने सर्जन के नाम को गोपनीय रखते हुए लड़की के पिता के हवाले से लिखा है कि 15 साल की उम्र होने के बाद महसूस किया कि उसमें मर्दों वाले गुण ज्यादा हैं जिस पर उन्हें चिन्ता हुई और उसे लेडी डाक्टर से दिखाया गया।
रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि इसमें लड़की वाले गुणों के बजाय लड़कों वाली आदतें ज्यादा हैं उसे नॉर्मल लड़का बनाने के लिए सर्जरी की जरूरत है। इस पर उसे लिंग परिवर्तन करने वाले डाक्टर को दिखाया गया। लेकिन डाक्टर ने पूरा आपरेशन न करके ज्यादती की है। यदि इजाजतनामा और फतवा की जरूरत थी तो उसे पहले बताना चाहिए था। लिंग परिवर्तन न करने वाली लड़की ने बताया कि उसकी दो और बहनें हैं आपरेशन से पूर्व उसे खुशी थी कि वह अपनी बहनों का भाई बन जाएगा। लेकिन अब डाक्टर ने एक नई आजमाइश में डाल दिया है। डाक्टर का कहना है कि इस्लामी शिक्षा के मुताबिक लिंग बनाना खुदा के अधिकार में हैं, किसी इंसान के हाथ में नहीं। ऐसे मामलों में धर्म क्या हिदायत देता है, यह बात उलेमा ही बता सकते हैं, इसलिए वह जामिया अजहर के फतवे के बिना इस आपरेशन को आगे नहीं बढ़ा सकते।

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