Friday, February 17, 2012

`नई दिल्ली बम विस्फोट खुद इजराइल ने कराया है'

प्रधानमंत्री निवास के पास हुए बम विस्फोट को लेकर जहां विभन्न मुस्लिम संगठनों ने इजराइल द्वारा किया जाना बताया वहां उर्दू अखबारों ने इस पर सम्पादकीय भी लिखे। मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों के बयानों को दैनिक `इंकलाब' ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष यह्या बुखारी ने कहा है कि इसमें संदेह नहीं कि ईरान पर हमले का माहौल बनाया जा रहा है। ईरान इस तरह का धमाका कर छिछोरी हरकत नहीं करता। सारी दुनिया इजराइल के बारे में अच्छी तरह जानती है। इस हमले में इजराइल का ही हाथ है। वह ईरान को बदनाम करके इस पर हमले का माहौल बना रहा है। ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल महासचिव डॉ. मोहम्मद मंजूर आलम ने इस मानवता विरोधी घटना की निन्दा करते हुए कहा कि यह मैग्नेटिक बम विस्फोट है। इससे पूर्व यह विस्फोट ईरान में किया गया था जिसमें ईरान का एक वैज्ञानिक मारा गया था।
आज का विस्फोट इसको चिन्हित करता है। इस तरह का विस्फोट के विशेषज्ञ सीआईए और मोसाद हैं। मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. तसलीम रहमानी ने कहा कि इस धमाके की जांच कराई जाए तो इसमें इजराइल का ही हाथ निकलेगा। ईरान और इजराइल की लड़ाई में भारत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मजलिस उलेमा हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद ने कहा कि ईरान पर इस तरह का आरोप लगाना बिल्कुल गलत है क्योंकि ईरान कभी आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त नहीं रहा है। इजराइल दूतावास की कार में जो धमाका किया गया है वह इजराइल ने खुद ही कराया है। वैलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि इजराइल बुनियादी तौर पर आतंकी देश है। इसने विभिन्न देशों में आतंक फैला रखा है। दूसरे देशों में आतंक फैलाना इसका मिजाज है। आज की घटना इजराइल के किए की प्रतिक्रिया हो सकती है।
यह भी संभव है कि यह विस्फोट भी इसी ने कराया हो। इसके लिए हर चीज संभव है वह इस तरह के षड्यंत्र में लिप्त रहता है। जमाअत उलेमा हिन्द महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने विस्फोट की भर्त्सना करते हुए कहा कि आज के धमाके और अरब देशों एवं ईरान में वहां के वैज्ञानिकों को मारे जाने वाले धमाकों में समानता पाई जाती है। इजराइल आज की तारीख में आतंकवाद का द्योतक बन चुका है। इस संदर्भ में इस तरह के विस्फोट से बहुत से अर्थ निकाले जा सकते हैं।
`बेशक धमाका दिल्ली में हुआ पर निशाने पर इजराइल' के शीर्षक से दैनिक `प्रताप' के सम्पादक अनिल नरेन्द्र ने अपने सम्पादकीय में चर्चा करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री निवास से महज 400 मीटर की दूरी पर सोमवार दोपहर इजराइली दूतावास की कार में जोरदार विस्फोट हो गया। धमाके के बाद कार में आग लग गई जिससे उसमें सवार एक इजराइली महिला अधिकारी सहित चार लोग घायल हो गए। मोटरसाइकिल सवार आतंकी ने मैग्नेटिक डिवाइस (स्टिकी बम) से चलती इनोवा गाड़ी में धमाका किया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह के बम का इस्तेमाल इस हमले में हुआ है वह पहली बार देखा गया है। इसे स्टिकी बम कहा जाता है, जिसके चलते इसे किसी वाहन पर चिपका दिया जाता है। इसमें चिपकन का काम बम के साथ लगी मैग्नेट यानि चुम्बक करती है जो कार की लोहे की बॉडी पर हल्के से छूते ही सख्ती से चिपक जाती है। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इसमें प्लास्टिक विस्फोटक का इस्तेमाल हल्केपन के लिए किया गया है। साथ ही बम फटने की टाइम सेटिंग मैकेनिज्म भी अपने में नया है।
इस प्रकार के बम का इस्तेमाल होना सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है। अब तक इस तरह के बमों का उपयोग ईरान और कुछ अरब देशों में होता पाया गया है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में हुए इस हमले में नाइट्रेग्लिसरीन, सल्फर व पोटेशियम क्लोरेट का इस्तेमाल किया गया है। अरब देशों और इजराइल के बीच की लड़ाई में अब भारत भी आ गया है। ईसाई बनाम इस्लाम लड़ाई आज की नहीं, हजारों वर्ष पुरानी है। ईरान पर किसी भी समय अब इजराइल-अमेरिका हमला कर सकते हैं। कहीं दिल्ली के इस विस्फोट से मामले और ज्यादा न बढ़ जाए?
`झूठ के सुपर पॉवर' के शीर्षक से दैनिक `इंकलाब' ने सम्पादकीय में लिखा है कि नई दिल्ली में इजराइली उच्चायोग की कार धमाके का शिकार हुई ही थी कि तेल अबीब ने तेहरान को जिम्मेदार करार दिया जैसे उसके पास धमाके की जांच, धमाका होने के पहले से ही मौजूद ही हो या फिर उसे मालूम हो कि ऐसी कोई घटना होने वाली है। इसीलिए इधर घटना हुई और उधर उसने तेजी से ईरान को दोषी ठहरा दिया। अतीत की घटनाओं पर विचार किया जाए तो मालूम होता है कि तुरन्त आरोप लगाना आतंकी ताकतों का काम है। मकसद यह होता है कि झूठ इतनी बार बोला जाए कि हर कोई इसे सच मान ले। अमेरिकी राष्ट्रपति जब मुस्लिम जगत को संबोधित करता है तो यह साबित करने में लगा रहता है कि उसके हृदय में मुस्लिम जगत का दर्द कूट-कूट कर भरा है, लेकिन उसका आतंक? मुस्लिम देशों के खिलाफ उसका आतंक कभी नहीं रुकता। नई दिल्ली में होने वाले बम धमाके के पीछे ईरान विशेषकर हिजबुल्ला का हाथ देख लिया (क्योंकि वह वही हाथ देखना चाहता था) और अब देखिए किस तरह वाशिंगटन भी पैंतरा बदलता है। इन ताकतों की आंख में ईरान एक लम्बे समय से खटक रहा है। इसलिए किसी न किसी बहाने से उसे निशाना बनाने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अकेला करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए भी झूठ का सहारा लिया जा रहा है और इसी का प्रचार किया जा रहा है, यह भूलकर कि तेहरान यदि चाहे तो मिनटों में तेल अबीब को तिगनी का नाच नचा दे।
दैनिक `राष्ट्रीय सहारा' ने `इजराइली सरकार की आपराधिक अन्तरआत्मा' के शीर्षक से अपने सम्पादकीय में चर्चा करते हुए लिखा है कि इजराइली प्रधानमंत्री बिनजामिन नेतनयाहू ने पहले यह बयान दिया कि इन घटनाओं में ईरान का हाथ है, लेकिन चन्द मिनटों में अपना बयान बदल दिया और कहा कि इन घटनाओं को लेबनान की हिजबुल्ला ने अंजाम दिया है। बयान की यह अचानक तब्दीली इजराइली सरकार की अजीब व गरीब लगती है जिसका दावा है कि मोसाद विश्व की सबसे अच्छी गोपनीय एजेंसी है। क्या दुनिया की बेहतरीन एजेंसी यह भी पता नहीं लगा सकी कि इन वारदातों में किसका हाथ है?
लेकिन बयान की यह तब्दीली रसमी नहीं है, सोची-समझी रणनीति का नतीजा है। इजराइल बड़े जोर-शोर से यह प्रचार कर रहा है कि हिजबुल्ला 9/11 जैसे बड़े आतंकवादी हमले की तैयारियां कर रहा है। नई दिल्ली और तेल बेसी में हमले किसने किए यह तो नहीं मालूम, लेकिन इन घटनाओं की रोशनी में इजराइल विशेषकर मोसाद को यह जरूर अहसास हो जाना चाहिए कि कभी-कभी जैसे को तैसा जवाब भी मिल सकता है।

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