Sunday, February 6, 2011

`कांग्रेस की नई मुस्लिम रिझाऊ नीति'

बीते कांग्रेस अधिवेशन की गतिविधियों और दिग्विजय सिंह के बयान पर बढ़ता वाद-विवाद, चीनी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा सहित 2जी स्पेक्ट्रम मामले पर ए. राजा की बढ़ती मुसीबतें, भाजपा अध्यक्ष नीतिन गडकरी का अपनी टीम के साथ इस्राइल भ्रमण एवं बढ़ती महंगाई जैसे अनेक मुद्दे उर्दू समाचार पत्रों में छाये रहे।

`कांग्रेस का दूरगामी और साहसी कदम' के तहत दैनिक `राष्ट्रीय सहारा' ने लिखा है। सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, आतंकवाद एवं नक्सली व माओ हिंसा कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनके कारण हमारी उन्नति और खुशहाली को ब्रेक लग गया है। यह हमारी राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव को भी जहरीले नाग की तरह डस रहा है। कोई भी देश विकास की सीढ़ी पर चढ़कर खुशहाल तभी हो पाता है जब देश में शांति व्यवस्था, आपसी भाईचारा और राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव का वातावरण बना रहे। इसे हम अपने देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सरकार के हजार प्रयासों के बावजूद कुछ भ्रष्ट एवं अपना हित साधने वाले सांप्रदायिक तत्व कानून की कमियां एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत नागरिकों को प्राप्त अधिकारों का फायदा उठाकर लोगों के दिलों में धार्मिककरण एवं सांप्रदायिकता का जहर घोलकर देश को हिंसा और बर्बादी की ओर ले जाने के इच्छुक हैं। दिल्ली में कांग्रेस के 83वें अधिवेशन में पार्टी ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का बिगुल बजाया है बल्कि संघ और भाजपा पर देश को तोड़ने का आरोप लगाते हुए इनसे सतर्प रहने और अपने कार्यकर्ताओं एवं उच्चाधिकारियों से पूरी ताकत से इनका मुकाबला करने की अपील भी की है।

`मुसलमानों को अब संरक्षण एवं विकास दोनों चाहिए' में जफर आगा ने लिखा है कि कांग्रेस अधिवेशन ने संघ परिवार के खिलाफ जो बयानात और प्रस्ताव पारित किए हैं वह स्वागत योग्य हैं, लेकिन सवाल यह है कि कांग्रेस पार्टी आरएसएस के सभी षड्यंत्रों के खिलाफ सत्ता में आने के 6-7 वर्षों के बाद ही क्यों सक्रिय हो रही है? क्या कारण है कि उसके खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक राजनैतिक मुहिम की जरूरत है?

कांग्रेस की यह नई मुस्लिम रिझाऊ (तुष्टिकरण) रणनीति यदि बयानबाजी की हद तक ही सीमित रहती है तो इसमें कांग्रेस को तो शायद कुछ फायदा हो जाए लेकिन मुस्लिम हित में कुछ नहीं होने वाला है। सभी आतंकवादी कार्यवाहियों में जो बेगुनाह मुस्लिम युवक पकड़े गए हैं वह आज भी जेल में बन्द हैं।

इन मासूमों को तुरन्त रिहाई मिलनी चाहिए। सरकार को इस सिलसिले में आतंकवादी घटनाओं के नए पुराने सभी मामलों की छानबीन करके मुस्लिम आतंकवाद का जो झूठा हव्वा खड़ा किया गया है उसको तुरन्त खत्म करना चाहिए।

हैदराबाद से प्रकाशित दैनिक `सियासत' ने कांग्रेस और हिन्दुत्व में लिखा है। भारत में पिछले दो दशकों से या कुछ अधिक से हिन्दुत्व ने जोर पकड़ना शुरू किया था। आरएसएस ने सबसे पहले हिन्दुत्व के समर्थन में मुहिम चलानी शुरू की जिसे बाद में राजनीति के मैदान में भाजपा ने आगे बढ़ाया। इसके बाद दूसरे संगठनों जैसे विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू महासभा और इसी तरह के अन्य छोटे-मोटे संगठनों ने हिन्दुत्व को आगे बढ़ाने का काम शुरू किया। गत दिनों इस संबंध में अभिनव भारत नामी संगठन का नाम भी सामने आया। इस पूरी प्रक्रिया में यह बात महसूस की जा सकती है कि भारत में हिन्दुत्व को सियासी घाटे में एक जगह मिल गई है। भाजपा द्वारा शुरू किए गए हिन्दुत्व मुहिम को अन्य संगठनों ने भी अख्तियार किया लेकिन उनका तरीका और अंदाज अलग था। भाजपा ने खुलेआम हिन्दुत्व की पैरवी की लेकिन अन्य संगठन इस मामले में भाजपा की बराबरी नहीं कर सकती कुछ नीतियों में अवश्य ही हिन्दुत्व को ध्यान में रखा गया। इन संगठनों में अब कांग्रेस भी शामिल होती नजर आती है क्योंकि इसने धीरे-धीरे हिन्दुत्व अख्तियार किया है। इसका रहस्योद्घाटन न केवल मीडिया द्वारा किया जाता रहा है बल्कि विकिलीक्स द्वारा उजागर किए गए दस्तावेज से भी होता है।

दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी के रहस्योद्घाटन पर पार्टी ने जो दृष्टिकोण अख्तियार किया है उससे स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी की रणनीति यह नहीं बल्कि इससे अलग है। पार्टी दोनों के बयान को निरस्त कर रही है लेकिन वह राहुल या दिग्विजय सिंह, दोनों में से किसी एक के बयान की जांच की मांग नहीं करती और न ही इसकी मांग करने वालों का समर्थन करती है। यही दृष्टिकोण इस व्यवहार को संदेह पैदा करने के लिए काफी है। कांग्रेस पार्टी को यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दुत्व चाहे वह `नरम' हो `कट्टर', हिन्दुस्तानी समाज, हिन्दुस्तानी जनता और हिन्दुस्तान के भविष्य के लिए ठीक नहीं है और इससे स्वयं कांग्रेस पार्टी के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है।

`प्याज की मार' में दैनिक `हमारा समाज' ने लिखा है कि शरद पवार ने बहुत आसानी के साथ यह कह दिया कि अगले कई सप्ताह तक प्याज की कीमत सामान्य मूल्य पर नहीं आएगी अर्थात् जानबूझ कर इतना माल एक्सपोर्ट कर दिया गया कि अचानक प्याज की कीमत आसमान छूने लगी जबकि वर्तमान मौसम में सभी सब्जियों की कीमत गत वर्षों कम हुआ करती थीं। सब्जियों के मौसम में इतनी महंगाई समझ से परे हैं। इसके कारण लोगों को सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि सरकार की सोचे-समझे षड्यंत्र के कारण महंगाई का यह हाल है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों का फैसला करने को कम्पनियों को पूरी तरह छूट दे गई है। केंद्र को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो आने वाले दिन इसे सख्त हालात से जूझना पड़ेगा जिसका प्रभाव कई राज्यों में होने वाले चुनाव पर निश्चय ही पड़ेगा। बिहार के नतीजों से सरकार को सबक लेना चाहिए।

ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के इस्राइल दौरे पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा है कि कहीं उनका यह दौरा भारत में आतंकवाद में लिप्त पाए जाने वाले हिन्दुत्व तत्वों को राहत दिलाने से संबंधित तो नहीं है? काउंसिल के अनुसार यह सवाल इसलिए उठता है कि गत कुछ वर्षों से इन तत्वों द्वारा जिस तरह आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, उनका तरीका वही है जिसका इस्तेमाल इस्राइल, फलस्तीन के खिलाफ करता है। काउंसिल महासचिव डॉ. मोहम्मद मंजूर आलम ने अपने बयान में कहा कि यहां की गोपनीय एजेंसियों के कुछ ईमानदार अधिकारियों ने अपने फर्ज का निर्वाह करते हुए हिन्दुत्व तत्वों को बेनकाब कर दिया है जिसके कारण यह बुरी तरह जाल में फंस गए हैं और अब इससे बाहर निकलने की तरकीब मालूम करने के लिए इस्राइल गए हैं एवं क्या उनका यह दौरा मुसलमानों को फंसाने के लिए कोई नया फार्मूला हासिल करने से संबंधित तो नहीं है।

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